बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जबसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से समझौता करके बिहार में गठबंधन किए हैं। तभी से महागठबंधन में हलचल मच रही है कि नीतीश कुमार होली के बाद अपना त्यागपत्र यानी इस्तीफा देकर राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करने जा रहे हैं और प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश कर रहे हैं।
नीतीश कुमार को बिहार में लोग पलटूराम चाचा के नाम से जानते हैं। नीतीश कुमार वह शख्स है, जिसने अपनो तक को नहीं छोड़ा, जिसने सबको ठगा वही है नीतीश कुमार यानी सिर्फ नाम का नीति और बिहार में जानते हैं, सब नीति कुकर्ममार..!
नीतीश कुमार की सियासी जमीन अब खिसक रही है।
पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी स्थापित करके जेडीयू से त्यागपत्र दे दिया है। साथ ही अपनी राज्यपाल कोटे की विधान परिषद की सीट से भी त्यागपत्र दे दिया है।
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| नीति नही बचेंगे...! |
सत्ता बचाने के लिए नीतीश कुमार कुछ भी करते रहते हैं, कभी पार्टी दफ्तर पहुंच जाते हैं,कभी बिना मंत्रियों के ही मंत्रालय को चलाने का काम करते हैं।
इन सब से तो यही पता चलता है कि आरजेडी और जेडीयू के बीच में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आरजेडी और जेडीओ का रिश्ता अब बहुत नाजुक दौर से गुजर रहा है।
आरजेडी के सभी नेता 'तेजस्वी बिहार' का नारा दे रहे हैं जिससे नीतीश कुमार असहज हो जा रहे हैं। उन्हें लगता है कि तेजस्वी उनके विधायकों को तोड़कर अपनी सरकार बनाना चाहते हैं।
लेकिन अब नीतीश बुरे फंसे ना तो वह अब बीजेपी के साथ सरकार बना सकते हैं। और ना ही आरजेडी पर ज्यादा दबाव बना सकते हैं कि मुख्यमंत्री मैं ही रहूंगा।
कभी इधर से उधर और कभी उधर से इधर पलटूराम पलटूराम अब खुद अपनी पलटूराम कार्यशैली को पूर्ण नहीं कर सकते। क्योंकि अब बीजेपी ने अपना दरवाजा बंद कर दिया है।
नीतीश कुमार को अब कोई भी मंत्री या नेता कोई भी कुछ भी नहीं सुन रहा और उनकी कोई भी बात नहीं मान रहा हैं।
इसका हाल ही का उदाहरण है कि सीएम नीतीश ने अभी कुछ बैठक बुलाई थी उस बैठक में विभागीय मंत्री ही नहीं पहुंचे और ना ही अधिकारी उनकी बात सुन रहे हैं हाल तो यह है कि राज्य के पुलिस अफसर तक नीतीश कुमार की कुछ भी बात नहीं सुन रहे सारी की सारी बात और सारी की सारी पुलिस व्यवस्था अब आरजेडी के हाथों में है यह भी स्पष्ट हो गया है।
कि अब सारे के सारे अफसर पुलिस, अधिकारी, नेता विधायक, कार्यकर्ता सभी के सभी अब तेजस्वी यादव की ही बात ही मानते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि अब नीतीश कुमार का अंत निकट है और नीतीश कुमार अभी रिटायरमेंट की उम्र में पहुंच गए हैं इसका अर्थ यह है कि अब बिहार में चलेगा तो सिर्फ तेजस्वी का चलेगा नीतीश तो अब पुराने जमाने के वस्तु समान हो गए हैं।
इसी कारण सीएम नीतीश अब मंत्रालय की कोई भी बैठक बिना आरजेडी विधायकों के ही कर रहे हैं। हाल ही के दिनों में उनके शिक्षा मंत्री ने रामचरित मानस पर दिए बयान से बिहार में नीतीश मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं मुस्लिमों के साथ-साथ वह वामपंथी और कांग्रेसी वोटरों को भी लुभा रहे हैं क्योंकि उनको पता है कि अब उनका वोट बैंक खिसक रहा है।
लव–कुश समीकरण पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।
उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह इन दोनों ने उनका वोट बैंक नष्ट कर दिया है और अगले विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार का अंत तय है।
लेकिन लालू यादव भी चुप नहीं बैठने वाले 2025 या 2024 का इंतजार नहीं करने वाले हैं।
वे उससे पहले ही जेडीयू के विधायकों को तोड़कर अपनी स्वतंत्र रूप से सरकार बना लेंगे और नीतीश कुमार को उठाकर फेंक देंगे इसी का डर नीतीश कुमार को लग रहा है लेकिन अब क्या करें..?
नीतीश कुमार अब अपनी पलटूराम वाली कहावत फिर से नहीं दोहरा सकते हैं। नीतीश कुमार का अंत तय है।
वैभव राठोड,
संपादक (News Tak Bharat)

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